फरहान अख्तर विगत आठ माह से एक बॉक्सर की भूमिका के लिए निरंतर कसरत कर रहे हैं। राकेश ओमप्रकाश मेहरा की ‘भाग मिल्खा भाग’ के बाद यह उनकी दूसरी फिल्म है। कंगना रनौत अभिनीत जयललिता बायोपिक के साथ ही जयललिता की घनिष्ठतम मित्र शशिकला का बायोपिक भी बनाया जा रहा है।
संभवत: दोनों ही बायोपिक का प्रदर्शन भी एक ही समय में किया जाए। विदेशों में बॉक्सिंग लोकप्रिय है। मोहम्मद अली कैसियस क्ले अपने जीवनकाल में ही लीजेंड बन गए थे। उस दौर में फिल्मकार प्रकाश मेहरा कैसियस क्ले को भी अनुबंधित करना चाहते थे। बड़ी जद्दोजहद के बाद उन्हें प्रातः 10 बजे मिलने का समय मिला।
प्रकाश मेहरा और उनका सुपर सितारा ठीक 10 बजे कैसियस क्ले के बंगले के गेट पर पहुंच गए। सुरक्षा कर्मचारी ने कहा कि वे 10 मिनट देरी से आए हैं, क्योंकि मुख्य द्वार से बंगले तक पहुंचने में 10 मिनट का समय लगेगा। कैसियस क्ले का बंगला परिसर कई एकड़ में फैला हुआ था। बहरहाल, यह मुलाकात हुई। कैसियस क्ले ने बताया कि 1 घंटे काम का उनका मेहनताना कितना है। यह प्रकाश मेहरा की दो फिल्मों के संपूर्ण बजट के बराबर था। अत: बात नहीं बनी।
बॉक्सिंग पृष्ठभूमि पर बन रही यह फिल्म संभवत: उपन्यास ‘ए स्टोन फॉर डैनीफिशर’ से प्रेरित है। मनमोहन देसाई ने अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म ‘अमर अकबर एंथोनी’ में भी बॉक्सिंग का दृश्य था। फिल्मों में हमेशा नायक को पहले पिटता दिखाया जाता है, बाद में वह खलनायक की कुटाई करता है।
फरहान अख्तर ने ‘भाग मिल्खा भाग’ के लिए भी बड़ी मेहनत की थी। वह कम फिल्मों में ही अभिनय करता है। उसकी बहन जोया अख्तर की रणवीर सिंह अभिनीत फिल्म ‘गली बॉय’ ऑस्कर प्रतियोगिता से पहले राउंड में ही बाहर कर दी गई। भारतीय फिल्म उद्योग और सरकार को एक दफ्तर कायम करना चाहिए जो भारतीय फिल्म की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से ऑस्कर के वोटर को परिचित करा सके।
भारत की मैरीकॉम ने महिला बॉक्सिंग में अनेक पुरस्कार जीते हैं और उनके जीवन से प्रेरित फिल्म में प्रियंका चोपड़ा ने अविश्वसनीय अभिनय किया था। फिल्म की तैयारी में प्रियंका चोपड़ा को महीनों परिश्रम करना पड़ा। मैरीकॉम ने जुड़वां बच्चों को जन्म देने के बाद भी बॉक्सिंग प्रतियोगिता जीती है।
मैरीकॉम जिस क्षेत्र से आई हैं, उस क्षेत्र में भी नागरिकता रजिस्टर का विरोध किया जा रहा है। छात्र आंदोलन के मामले में सरकार को उस माचिस की तलाश है, जिसने यह आग भड़काई। सरकार इस बात को नहीं जानती कि कभी एक चट्टान से एक टुकड़ा नीचे पत्थर पर गिरता है तो भी एक चिंगारी पैदा होती है।
यह आंदोलन स्वत: स्फूर्त है और पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष भी। यह कम्बख्त धर्मनिरपेक्षता ऐसी मजबूत और स्वाभाविक है कि मिटाए नहीं मिट रही है। मिर्जा गालिब का शेर ‘यह लगाए न लगे, बनाए न बने की तरह’ ही यह आग पूरे देश में फैल रही है। बंगलुरु में पुलिस की गोली से दो लोगों की मौत हो गई।
सॉफ्टवेयर की कैपिटल में लंबे समय तक कर्फ्यू लगने से पूरे देश के कंप्यूटर निष्क्रिय हो सकते हैं। उद्योग लगभग ठप हो गए हैं, छात्र आंदोलन को दबाने के लिए किए गए प्रयास भी गिरती अर्थव्यवस्था को बदतर बना सकते हैं। छात्र आंदोलन को रोकने के लिए सेना लगाई जा सकती है। चीन के फ्रंट से सेना कम किया जाना घातक सिद्ध हो सकता है।